Monday, February 4, 2013
Christainity:coversion of tribals in jharkhand
आज झारखण्ड (जैसे अन्य क्षेत्रों) में भी धर्मान्तरण को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तय किये जा रहे हैं, परन्तु इतिहास साक्षी है कि झारखण्ड के आदिवासियों का धर्मान्तरण और ‘धर्मान्तरित आदिवासियों को ही सरकारी संरक्षण’ की अँग्रेंजी नीति के विरूद्ध ईस्वी सन् 1881 में ‘सरदार विद्रोह’ फूटा था। ‘गोस्सनर चर्च राँची’ की बपतिस्मा पंजी में क्रम संख्या 5738-282 वर्ष 1868 के सामने बिरसा मुण्डा के पिता सुगना मुण्डा का ईसाई नाम ‘मसीह दास’ तथा क्रम संख्या 5741-285 वर्ष 1868 के सामने बिरसा मुण्डा का धर्मान्तरित नाम ‘दाउद’ इस बात के दस्तावेजी प्रमाण हैं कि झारखण्ड में धर्मान्तरण (चाहे जिस कारण भी हो) होता रहा है। बल्कि सुगना मुण्डा ने तो ‘जल-जंगल-जमीन’ के पारम्परिक अधिकारों की बहाली के बदले बहुसंख्यक आदिवासी समाज के धर्मान्तरण हेतु चर्च से वायदा तक किया था ! आगे चलकर बिरसा ने आदिवासी समाज में चर्च के बढ़ते हस्तक्षेप का प्रतिकार किया और बिरसा की उलगुलान (विद्रोह) में धर्मान्तरण भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा था।
(पठार पर कोहरा, राकेश कुमार सिंह, प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ )
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