Sunday, February 10, 2013
Delhi-1984 Riots:Nirmal Verma
दिल्ली लौटकर अचानक एक के बाद एक दुखदायी घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया । वे बहुत भयानक दिन थे । पहली बार महसूस हुआ कि समूह और संप्रदाय और राजनीति की आंधी के आगे हम कितना अवश और हमारी समूची मानवीय आदर्शवादिता कितनी अर्थहीन हो जाती है । इन घटनाओं के आधार पर रविवार ने कुछ लेखकों से प्रश्न पूछे थे-शायद नये अंक में आपको मेरी प्रतिक्रिया भी देखने को मिले ।
(दिल्ली में सन् 1984 में हुए सिख दंगों पर निर्मल वर्मा, देहरी पर पत्र में)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...
No comments:
Post a Comment