Sunday, February 24, 2013

Ghalib:Meer

ग़ालिब के बारे में मीर का मानना था कि:
अगर इस लड़के को कोई कामिल उस्ताद मिल गया और उसने इसे सीधे रास्ते पर डाल दिया, तो लाजवाब शायर बनेगा, वरना मोहमल (अर्थहीन) बकने लगेगा।
उर्दू-साहित्य को मीर और ग़ालिब से क्या हासिल हुआ, इस बारे में अपनी पुस्तक "ग़ालिब" में रामनाथ सुमन कहते हैं:जिन कवियों के कारण उर्दू अमर हुई और उसमें ‘ब़हारे बेख़िज़ाँ’ आई उनमें मीर और ग़ालिब सबसे अधिक प्रसिद्ध हैं। मीर ने उसे घुलावट, मृदुता, सरलता, प्रेम की तल्लीनता और अनुभूति दी तो ग़ालिब ने उसे गहराई, बात को रहस्य बनाकर कहने का ढंग, ख़मोपेच, नवीनता और अलंकरण दिये।

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