Saturday, February 23, 2013

Division within Church in India

मै भंडारा के एक चर्च में प्रिस्ट हूँ. पर हर जगह भेदभाव है..........मेरे प्रिस्ट होने के बाद भी नागपुर डायोसिस में मेरे साथ भेदभाव होता है, सारे डायोसिस पर मलयाली लोगों का कब्जा है बिशप, सारे फादर्स और सारी सिस्टर्स भी मलयाली है और वहाँ जो भेदभाव हमारे जैसो के साथ होता है वो मै आपको बता नहीं सकता. मेरा हमेशा बिशप से लड़ाई होता है पर क्या करें .......मै प्रिस्ट हूँ पर कोई नहीं सुनता, मेरे चर्च को रूपया नहीं मिलता, क्या मैने दारू पी है ............जी हाँ मैंने खूब दारू पी है मैने भी थियोलोजी पढ़ी है पांच साल, भाड़ नहीं झोकी, पर क्या करूँ ............कुछ नहीं कर सकता.......आप तों सब लिख सकते है ना जाये जरुर लिखे जहां भी लिख सकते है लिखे मै एक लड़ाई लड़ रहा हूँ और इस लड़ाई में मुझे जीतना है--चाहे चर्च का भेदभाव हो या तेलंगाना का......मै लड़ रहा हूँ ..........ट्रेन आ रही थी और "फादर प्रसाद" जो मात्र उनतीस साल का युवा है एकदम काला और ठेठ आदिवासी खम्मम के किसी दूर दराज के गाँव का रहने वाला, हिन्दी तों बोलता है थोड़ी बहुत सही अंग्रेजी भी बोलता है अपनी दुर्दशा बयाँ कर रहा था. और मुझे लग रहा था कि तेजिंदर के उपन्यास "काला पादरी" का हीरो कल रात मुझे मिल गया तेलंगाना के बहाने वो धर्म परिवर्तन और सम्पूर्ण चर्च की राजनीति को बयाँ कर रहा था. http://sandipnaik.blogspot.in/2012/10/blog-post_31.html

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...