चैन तो चिता पर ही मिलता है.…।
सारे राग-द्वेष, आशा-प्रत्याशा, दुख-चिंता चिता के साथ समाप्त हो जाते है, तेरा तुझको अर्पण।
अंतिम समय में शरीर की राख-मिट्टी के साथ मिल जाती है।
रूप-आकार निराकार में विलीन हो जाता है।
कम से कम दृश्यमान संसार की यात्रा का तो अंत हो जाता है।
अगर आगे कोई संसार है तो उसकी यात्रा आरंभ हो जाती है।
रूप-आकार निराकार में विलीन हो जाता है।
कम से कम दृश्यमान संसार की यात्रा का तो अंत हो जाता है।
अगर आगे कोई संसार है तो उसकी यात्रा आरंभ हो जाती है।
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