मुझे जो शिक्षा-दीक्षा मिली, उसमें संतुलन को जीवन कर्म और भाषाभिव्यक्ति के सहज संयम को विशेष महत्व दिया जाता रहा और परिस्थितियों ने एकान्त इतना अधिक दिया कि आत्मनिर्भरता अभ्यास नहीं, चरित्र का अंग बन गई, चिन्तन और अनुभूति कम नहीं हुई पर कोई अनुभूति तत्काल दूसरों पर प्रकट हो ही जानी चाहिए या चेहरे पर झलक आनी चाहिए, सामाजिकता की ऐसी कोई परिभाषा भी सीखने को न मिली।-अज्ञेय (इला-वसुधा डॉलमिया, यशोधरा डॉलमिया)
Wednesday, April 30, 2014
Balance in life (जीवन संतुलन-अज्ञेय)
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