भारत सरकार की कोलकाता स्थित टकसाल 1757 में पुराने किले के एक भवन में स्थापित की गई थी जहां आजकल डाक घर (जीपीओ) है। इसे कलकत्ता टकसाल कहा जाता था जिसमें मुर्शीदाबाद नाम से सिक्के ढाले जाते थे।
दूसरी कलकत्ता टकसाल गिलेट जहाज भवन संस्थान में स्थापित की गई और इस टकसाल में भी मुर्शीदाबाद के नाम से सिक्कों का उत्पादन जारी रहा।
तीसरी कलकत्ता टकसाल स्ट्रेंड रोड पर 01 अगस्त, 1829 (चांदी टकसाल) से शुरू की गई। 1835 तक इस टकसाल से निकलने वाले सिक्कों पर मुर्शीदाबाद टकसाल का नाम ढाला जाता रहा।
1860 में चांदी टकसाल के उत्तर में केवल तांबे के सिक्के ढालने के लिए एक 'तांबा टकसाल' का निर्माण किया गया। चांदी और तांबा टकसालों में तांबे, चांदी और सोने के सिक्कों का उत्पादन किया जाता था।
ब्रिटिश राज के दौरान सिक्के ढालने के अलावा कोलकाता टकसाल में पदकों एवं अलंकरणों का निर्माण भी किया जाता था। आज भी यहां पदकों का निर्माण किया जाता है।
स्त्रोत: http://www.pib.nic.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=0
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