आहोम शासन में मुगलों को खदेड़ने में तुम्हारे ही शराईघाट में वीर लाचित बरफुकन ने जल युद्व कर विजयश्री प्राप्त की थी किन्तु आज असम तो क्या, लगता है, पूरे भारत में कोई ऐसा साहसी नहीं जो घुसपैठ के इस अजस्त्र प्रवाह को रोक सके । हे ब्रह्मपुत्र बाबा! आखिर तुम क्या चाहते हो ? माना कि तुम्हारा सागर मिलन बांग्लादेश के रास्ते होता है, तो क्या असम को भी तुम उसकी सीमा में तिरोहित हुआ देखना चाहते हो ? उस देश में बहते हुए तुमने भी तो सुगबुगाहट सुनी होगी कि वे बृहत्तर बांग्लादेश का सपना संजोये हैं और पूर्वोत्तर के प्रदेशों को घुसपैठियों की आबादी के चाकू से काटकर भारत से अलग कर देना चाहते हैं। किंतु क्या तुम ऐसा होने दोगे ? तुम बांग्लादेश के लिए एक नदी मात्र हो सकते हो परन्तु हमारे तो तुम प्रेरण स्त्रोत हो । हमारा सम्बन्ध तो तुमसे सहस्त्राब्दियों का है ।(ब्रह्मपुत्र के किनारे किनारेः सांवरमल सांगानेरिया भारतीय ज्ञानपीठ)
Tuesday, July 9, 2013
Assam:Brahmputra
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