दाम लियां लागे दाग टुकड़ो देवो न दान सिर साटे रूँख रहे तोई सस्तो जान
सिर कट जाए और पेड़ बच जाये तो भी सस्ता ही है। ये भावना थी राजस्थान की एक वीरांगना की। सैनिकों को विरोध पसंद नहीं आया उन्होंने अमृता देवी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए फिर उनकी बेटियों ने विरोध किया वो भी मारी गयीं। एक-एक करके लोग आते गए और पेड़ बचने के लिए 363 लोगों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। बाद में राजा ने इस पाप कर्म की माफ़ी मांगी लेकिन तब तक राजस्थानी शौर्य सारी दुनियां के सामने अपनी वीरता और पर्यावरण प्रेम की कभी न भुलायी जाने वाली दास्तान पेश कर चुका था। कुछ पेड़ों के लिए तीन सौ तिरेसठ लोग अपनी जान न्यौछावर कर दें सहसा तो इस बात पर यकीन ही नहीं होता लेकिन ये राजस्थान है ................
आ तो सुरगां ने सरमावै ई पर देव रमण ने आवै ईं रो जस नर-नारी गावै धरती धोरां री ईं रै सत री आण निभावां ईं रै पत नै नहीं लजावां ईं नै माथो भेंट चढ़ावा मायड़ कोडां री धरती धोरा री
Photo Source: http://en.wikipedia.org/wiki/Khejarli
No comments:
Post a Comment