Tuesday, July 9, 2013

Khejri:Bishnoi


जोधपुर से 24 किलोमीटर दूर विश्नोइयों के गाँव खेजड़ली में जोधपुर महाराज के सैनिकों ने किले में नवीन निर्माण के लिए खेजड़ी के वृक्ष काटने चाहे तो एक विश्नोई महिला अमृता देवी ने इसका विरोध किया। राजा के सैनिकों ने कीमत देनी चाही तो उसने कहा
दाम लियां लागे दाग टुकड़ो देवो न दान सिर साटे रूँख रहे तोई सस्तो जान
सिर कट जाए और पेड़ बच जाये तो भी सस्ता ही है। ये भावना थी राजस्थान की एक वीरांगना की। सैनिकों को विरोध पसंद नहीं आया उन्होंने अमृता देवी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए फिर उनकी बेटियों ने विरोध किया वो भी मारी गयीं। एक-एक करके लोग आते गए और पेड़ बचने के लिए 363 लोगों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी। बाद में राजा ने इस पाप कर्म की माफ़ी मांगी लेकिन तब तक राजस्थानी शौर्य सारी दुनियां के सामने अपनी वीरता और पर्यावरण प्रेम की कभी न भुलायी जाने वाली दास्तान पेश कर चुका था। कुछ पेड़ों के लिए तीन सौ तिरेसठ लोग अपनी जान न्यौछावर कर दें सहसा तो इस बात पर यकीन ही नहीं होता लेकिन ये राजस्थान है ................
आ तो सुरगां ने सरमावै ई पर देव रमण ने आवै ईं रो जस नर-नारी गावै धरती धोरां री ईं रै सत री आण निभावां ईं रै पत नै नहीं लजावां ईं नै माथो भेंट चढ़ावा मायड़ कोडां री धरती धोरा री

Caption of Photo: Cenotaph of Bishnoi martyrs at Khejarli,who laid down their lives in 1730 AD protecting trees

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