Tuesday, July 16, 2013

President House of India



राष्ट्रपति भवन के निर्माण से मुख्य वास्तुविद, एडविन लुट्येन्स तथा मुख्य इंजीनियर, ह्यूज कीलिंग के अलावा बहुत से भारतीय ठेकेदार से जुड़े थे। जहां मुख्य इमारत का अधिकांश कार्य एक मुस्लिम ठेकेदार हारून अल रसीद ने किया वहीं फोरकोर्ट का निर्माण सुजान सिंह और उनके पुत्र शोभासिंह ने कराया। हैरत की बात यह है कि इन भारतीयों के नामों का लुट्येन्स की आधिकारिक जीवनी में कहीं उल्लेख नहीं है। 
इस भवन के लिए 400000 पौंड की राशि मंजूर की गई थी। परंतु इस इमारत के निर्माण में 17 साल का लम्बा समय लगा, जिससे इसकी लागत बढ़कर 877,136 पौंड (उस समय 12.8 मिलियन) हो गयी। इस इमारत के अलावा, मुगल गार्डन तथा कर्मचारियों के आवास पर आया वास्तविक खर्च 14 मिलियन था। कहा जाता है कि एडविन लुट्येन्स ने कहा था कि इस इमारत के निर्माण में लगी धनराशि दो युद्ध पोतों के निर्माण में लगने वाली धनराशि से कम थी। यह एक रोचक तथ्य है कि जिस भवन को पूरा करने की समय-सीमा चार वर्ष थी, उसे बनने में 17 वर्ष लगे और इसके निर्मित होने के अट्ठारहवें वर्ष भारत आजाद हो गया।

Apart from Edwin Lutyens, the Chief architect and Chief Engineer Hugh Keeling there were many Indian contractors who were involved in the construction of this building. While a Muslim contractor Haroun-al-Rashid did most of the work of the main building the forecourt was built by Sujan Singh and his son Sobha Singh. Surprisingly the names of these Indians did not find a place in the official biography of Lutyens.
The sanctioned amount for the building was earmarked at 400,000 pounds. However the long span of seventeen years required for the construction of the building raised its cost to 877,136 pounds (then Rs. 12.8 million). The actual amount incurred in not only the construction of the building but also the Mughal Garden and the staff quarters amounted to Rs. 14 million. Edwin Lutyens was reported to have remarked that the money invested in the construction of the building was smaller in amount as compared to the cost of two warships.

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