पत्रकार से यह आशा की जाती है कि वह यथार्थ का कम से कम शब्दों में ज्यों का त्यों वर्णन करेगा और अपनी कल्पना से कोई काम नहीं लेगा । दूसरी ओर, कहानीकार से यह उम्मीद की जाती है कि वह अपनी कल्पना के सहारे यथार्थ को एक यादगार रंग देकर साहित्य के स्तर पर पंहुचा देगा ।
-मनोहर श्याम जोशी
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