रूमाल
हमारे बीच अब कुछ बोलने को नहीं रहा
हर चीज
उस रेल में चली गई, जिसने अपनी सीटी छिपा रखी थी
उस धुंए में जो कि एक बादल नहीं बन सका
उस जाने में, जिसने तुम्हारें अंगों को जोड़ दिया
हमारे बीच अब कुछ बोलने को नहीं रहा
सो अब तुम्हारी मौत
चमकदार चांदी की अंर्तदृष्टि हो
और उन शहरों का सूरज
तुम्हारे कंधों पर एक गुलाब हो
(ग्रेन्टा में प्रकाशित अंग्रेजी में प्रसिद्व फिलीस्तिीनी कवि घासन जगतन की कविता के फेडी जुदाह के अनुवाद का हिंदी रूपांतर)
Source: http://www.granta.com/New-Writing/Handkerchief
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