हमें अंग्रेजी के द्वारा ही विश्व साहित्य को जानने से बचना चाहिए । हमें फ्रेंच, रूसी, चेक, स्पेनिष, जर्मन और स्वीडिश भाषाओं से भी सीधा सम्बन्ध रखना चाहिए, ताकि अनुवाद के सन्दर्भ में हम अपने विवके से काम लेते हुए ऐसे लेखकों और कथ्यों का चुनाव कर सकें जो भारतीय पाठकों की रूचि के अनुरूप हों । अच्छे विश्व साहित्य का चुनाव करते हुए अंग्रेजी पर निर्भरता अनर्थकारी है । यदि हम अंग्रेजी में उपलब्ध चयन तक ही सीमित हो जाएंगे तो निश्चित रूप से हम विश्व साहित्य के बहुत से श्रेष्ठ लेखकों का लेखन नहीं पा सकेंगे । इसलिए जितना शीघ्र हम विश्व साहित्य को अंग्रेजी के झरोखे से देखने का प्रयास छोड़ दें उतना ही अच्छा होगा। हमें अपने बुद्धि विवेक से ही श्रेष्ठ का चयन करना चाहिए ।
-निर्मल वर्मा(संसार में निर्मल वर्मा: गगन गिल)
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