1962 के भारत चीन युद्ध के समय अपनी रचनाओं से जब हुंकार भरा तो चीन के रेडियो ने उन्हें बहुत बुरा-भला कहा किंतु वनमैन आर्मी की उपाधि से विभूषित कवि गोपाल सिंह नेपाली ने अपनी रचनाओं से संपूर्ण राष्ट्र के जनमानस को चीन के विरुद्ध उद्वेलित करते हुए लिखा-
शंकर की पुरी, चीन ने सेना को उताराचालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा।
तुम सा लहरों में बह लेता, तो मैं भी सत्ता गह लेताईमान बेचना चलता तो मैं भी महलों में रह लेतातुम राजनीति में लगे रहे, यहाँ लिखने में तल्लीन कलममेरा धन है स्वाधीन कलम।ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार सेचर्खा चलता है हाथों से शासन चलता है तलवार से।
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