Sunday, March 23, 2014

Gopal Singh Nepali-China (गोपाल सिंह नेपाली-चीन)




1962 के भारत चीन युद्ध के समय अपनी रचनाओं से जब हुंकार भरा तो चीन के रेडियो ने उन्हें बहुत बुरा-भला कहा किंतु वनमैन आर्मी की उपाधि से विभूषित कवि गोपाल सिंह नेपाली ने अपनी रचनाओं से संपूर्ण राष्ट्र के जनमानस को चीन के विरुद्ध उद्वेलित करते हुए लिखा-
शंकर की पुरी, चीन ने सेना को उतारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा।
तुम सा लहरों में बह लेता, तो मैं भी सत्ता गह लेता
ईमान बेचना चलता तो मैं भी महलों में रह लेता
तुम राजनीति में लगे रहे, यहाँ लिखने में तल्लीन कलम
मेरा धन है स्वाधीन कलम।

ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से
चर्खा चलता है हाथों से शासन चलता है तलवार से।

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...