तुम्हारे बिन
अब दिन भी बरस लगते हैं
पर मन में
तुम्हारा स्थान अक्षुण्ण है
अब इस नश्वर संसार से
भले ही दूर हो
पर प्यार से भला कहाँ !
जो अब भी पहुँचाता संदेशे
जब भी तुम्हारी याद आती है
अनायास ही आँखे भर आती हैं
शायद इसी को रोना कहते है
सहसा अपने को छूने पर
रगों में तुम्हारे होने का अहसास होता है
तिस पर आई मुस्कान
मेरे सारे दुख हर लेती है
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