तेरे दामन से दूर जाना, इतना आसान कहाँ थाजब तेरा साया बिछड़ा, वजूद मेरा भी लापता थाअब दिल की दुश्वारियाँ को, कैसे -क्या बयान करुँ,जब तलक था तेरे साथ, मैं और मेरा साया एक थाजिंदगी तेरी याद, मरघट में सबसे ज्यादा आईपहले पता होता, कम से कम आँखे तो न भिगोते
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