पाठकों के शब्द ही संबल है.…लिखना सार्थक हो जाता है, अगर किसी एक पाठक के मन को भी बात छू गयी नहीं तो बाकी तो शब्दों का मकड़जाल है, जिसमें लिखने वाला ही जकड़ कर बस रह जाता है.… विचार को आगे करना, आखिर जीवन भी तो दूसरे को सिरा आगे बढ़ाने से ही बढ़ता है.…मैदान में ताली बजने वालों के महत्व से भला कौन इंकार कर सकता है
Friday, March 7, 2014
Word Power (शब्द-संबल)
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First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान
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