सृष्टि में अंगार युग के बाद धरती ठंडी हुई तो प्राणयुग का अस्तित्व आया और उसके साथ-साथ विधाता द्वारा सृष्टि चक्र का प्रवर्तन हुआ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को और उसी पवित्र काल के अष्टम दिवस को देवी का आविर्भाव हुआ था। वह था उसका अरूप निराकार अवतरण पोषक परमा प्रकृति के रूप में।
परन्तु प्रवाद है कि कालांतर में देवी का दूसरा सगुण अवतरण, हैमवती उमा के रूप में, हिमाचल के गृह इसी नवरात्रि की अष्टमी को हुआ था और उसके जन्म के उल्लास में हम घर-घर घट स्थापित करके देवी की नवमी पूजा करते हैं।
-कुबेरनाथ राय
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