औपचारिक रूप से पत्रकारिता छोड़े एक दशक से ज्यादा हो गया पर अभी भी "हेडिंग" लगाने की आदत गयी नहीं, हाथ में ऐसी लगी है कि छूटती ही नहीं ।
(कपिल कुमार के खूबसूरत चित्रों को देखकर रहा नहीं गया, अनायास ही की-बोर्ड पर अंगुलियाँ थिरकने लगी और दिमाग का प्रोसेसर चालू हो गया जैसे सेल्फ-स्टार्ट हो )
No comments:
Post a Comment