Friday, March 1, 2013

Critism:Ageya



आलोचना कई प्रकार की होती है क्योंकि वह कई उद्देश्यों से की जा सकती है । 
सब आलोचना मूल्यवान नहीं होती, उसका उद्देश्य प्रभाव उत्पन्न करना या व्याख्या करना भी हो सकता है । 
-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

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