Friday, March 8, 2013
Gandhi:West-Nirmal Verma
बीसवीं शती के आरम्भ में जब पश्चिमी सभ्यता अपने चरमोत्कर्ष पर थी, तब कौन कह सकता था कि उसके सार्वजनिक प्रभुत्व को एक ऐसा अदना व्यक्ति चुनौती दे सकेगा, एक गुलाम देश का नागरिक, जिसे कोई जानता भी न था । गांधी जी ने ठीक अपनी परम्परा की भावभूमि पर खड़े होकर पश्चिमी सभ्यता की महाजनी महत्वकांक्षाओं के खोखलेपन, उसकी हिंसात्मक लिप्साओं के विनाशकारी परिणामों को दर्शाया था ।
निर्मल वर्मा, मूर्तिदेवी पुरस्कार मिलने पर अभिभाषण
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