'मुझे करगिल अभियान पर गर्व है।'
-पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ,
करीब चार साल तक पाकिस्तान से बाहर रहने के बाद वतन लौटे पूर्व राष्ट्रपति ने कराची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान करगिल मुद्दे पर उनकी भूमिका की आलोचना के बारे में सवाल पर यह टिप्पणी की।
तो मुशर्रफ अपने देश के सैनिकों के ताबूत लेने से डरे क्यों ? जो हुकुमत अपने मरे हुए सैनिकों को लावारिस बना दे क्या तो उस देश के लिए क्या जीना और क्या मरना ?
पता नही किस बात का गर्व है मुशर्रफ को ? बेगुनाह पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना से मरवाने का या मरने के बाद पाकिस्तानी सैनिकों को पाकिस्तान की मिट्टी भी न नसीब होने का अगर यह गर्व की बात है तो ऐसा गर्व मुशर्रफ को मुबारक़ हो ?
लगता है कि उन्होंने अपनी ही सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अज़ीज़, जो कि करगिल युद्ध के वक्त आईएसआई की एनालिसिस विंग के प्रमुख थे, का पाकिस्तानी अखबार ‘द नेशन डेली’ में 6 जनवरी को लिखा लेख नहीं पढ़ा।
इस लेख में शाहिद अज़ीज़ ने लिखा है कि करगिल में हमला झूठे अनुमानों पर आधारित एक बेकार का प्लान था और बाद में जनरल मुशर्रफ ने इस पूरे मामले को दबा दिया और पाकिस्तानी जवानों को चारे की तरह इस्तेमाल किया गया।
शाहिद अज़ीज़ ने आगे लिखा कि पाकिस्तानी जवानों को कहा गया था कि भारत हमले का जवाब नहीं देगा लेकिन भारत ने जब हमला किया तो न सिर्फ पाकिस्तानी जवान अलग-थलग पड़ गए बल्कि उनकी चौकियों का भी संपर्क कट गया।
अजीज ने लिखा, ‘करगिल की तरह हमने जो भी निरर्थक लड़ाई लड़ी, उससे हमने कोई सबक नहीं सीखा है। हम सबक सीखने से इनकार करते आ रहे हैं। वास्तविकता यह है कि हमारे गलत कामों की कीमत हमारे बच्चे अपने खून से चुका रहे हैं।’
लगता है कि पाकिस्तानी फ़ौज अपने मुल्क में लोकतंत्र को कभी नही पनपने देगी इसीलिये जैसे झूठे और मक्कार मुशर्रफ को दोबारा सामने लाया गया है।
आखिर क्यों न हो, इसी फ़ौज की अय्याशी और बलात्कारी आदत ने 1972 मे बांग्लादेश मे 150000 कुंवारी लड़कियों को गर्भवती बना दिया था।
आखिर भस्मासुर, सिर्फ यहाँ या इस देश की कहानी नही, यह दुनिया की हकीकत है।
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