शिव: राममनोहर लोहिया
राम, कृष्ण और शिव हिन्दुस्तान की उन तीन चीजों में हैं – मैं उनको आदमी कहूँ या देवता , इसके तो ख़ास मतलब नहीं होंगे – जिनका असर हिन्दुस्तान के दिमाग पर ऐतिहासिक लोगों से भी ज्यादा है ।
राम और कृष्ण तो इतिहास के लोग माने जाते हैं , हों या न हों , यह दूसरे दर्जे का सवाल है । मान लें थोडी देर के लिये कि वे उपन्यास के लोग हैं । शिव तो केवल एक किंवदंती के रूप में प्रचलित हैं । यह सही है कि कुछ लोगों ने कोशिश की है कि शिव को भी कोई समय और शरीर और जगह दी जाय । कुछ लोगों ने कोशिश की है यह साबित करने की कि वे उत्तराखंड के एक इंजीनियर थे जो गंगा को ले आये थे हिन्दुस्तान के मैदानों में ।
यह छोटे-छोटे सवाल हैं कि राम और कृष्ण और शिव सचमुच इस दुनिया में कभी हुए या नहीं। असली सवाल तो यह है कि इनकी जिन्दगी के किस्सों के छोटे-छोटे पहलू को भी ५ , १०,२०,५० हज़ार आदमी नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के करोड़ों लोग जानते हैं।
राम, कृष्ण और शिव ये कोई एक दिन के बनाये हुए नहीं हैं ।इनको आपने बनाया । इन्होंने आपको नहीं बनाया । आमतौर से तो आप यही सुना करते हो कि राम और कृष्ण और शिव ने हिन्दुस्तान या हिन्दुस्तानियों को बनाया ।किसी हद तक शायद यह बात सही भी हो,लेकिन ज्यादा सही यह बात है कि करोड़ों हिन्दुस्तानियों ने , युग-युगान्तर के अन्तर में , हजारों बरस में , राम, कृष्ण और शिव को बनाया । उनमें अपनी हँसी और सपने के रंग भरे और तब राम और कृष्ण और शिव जैसी चीजें सामने हैं ।
राम और कृष्ण तो विष्णु के रूप हैं और शिव महेश के । मोटी तौर से लोग यह समझ लिया करते हैं कि राम और कृष्ण तो रक्षा या अच्छी चीजों की हिफाज़त के प्रतीक हैं और शिव विनाश या बुरी चीजों के नाश के प्रतीक हैं ।
‘राम-कृष्ण-शिव हमारे आदर्श हैं। राम ने उत्तर-दक्षिण जोड़ा और कृष्ण ने पूर्व-पश्चिम जोड़ा। अपने जीवन के आदर्श इस दृष्टि से सारी जनता राम-कृष्ण-शिव की तरफ देखती है। राम मर्यादित जीवन का परमोत्कर्ष हैं, कृष्ण उन्मुक्त जीवन की सिद्धि हैं और शिव यह असीमित व्यक्तित्व की संपूर्णता है। हे भारत माता! हमें शिव की बुद्धि दो, कृष्ण का हृदय दो और राम की कर्मशक्ति, एकवचनता दो।
(चित्र- नंदलाल बोस)
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