Sunday, March 3, 2013

Critism:Nirmal Verma

जब किसी साहित्य में सार्थक, जीवंत और संयत समीक्षा पद्धत्ति मुरझाने लगती है तो उसके साथ एक अनिवार्यत: एक परजीवी वर्ग, एक साहित्यिक माफिया पनपने लगता है. ऎसी विकट स्थिति में लेखक अपने खोल में चला जाता है.
-निर्मल वर्मा

No comments:

First Indian Bicycle Lock_Godrej_1962_याद आया स्वदेशी साइकिल लाॅक_नलिन चौहान

कोविद-19 ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ा है। इस महामारी ने आवागमन के बुनियादी ढांचे को लेकर भी नए सिरे ...