मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने शोकगीत कई लिखे। भाई की मौत पर `नौहा´ हो, `मर्सिया-ए-इमाम´ हो या फिर `सिपाही का मर्सिया´, लेकिन सिपाही का मार्सिया इस बात से पैदा होती है कि यह शोकगीत एक मां को नुक्त:-ए-नज़र से लिखा गया है। पूरा शोकगीत उस मां का हृदयविदारक आर्तनाद है जो अन्याय के खिलाफ लडते हुए शहीद हो गए अपने बेटे की मौत पर विश्वास नहीं कर पा रही है और उससे बार-बार उठ खडे होने का आह्वान कर रही है-
बैरी बिराजे राज सिंहासन
तुम माटी में लाल
उट्ठो अब माटी से उट्ठो,
जागो मेरे लाल
हठ न करो माटी से उट्ठो,
जागो मेरे लाल
अब जागो मेरे लाल
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