Wednesday, August 14, 2013

Life of Swami vivekananda


स्वामी विवेकानंद के संदेश और उनके उपदेश तब भी प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं तथा तब तक प्रासंगिक बने रहेंगे जब तक मानवीय सभ्यता अस्तित्व में रहेगी। बंगाल का महान सपूत और एक महान दूरद्रष्टा स्वामी जी को महान इतिहासकार ए एल बासम ने को एक ऐसा व्यक्ति बताया जो कई सदियों में अवतरित होता है।
यह आश्चर्य की बात है कि छोटे से जीवन में ही स्वामी जी ने उस समाज को रूपांतरित कर दिया जो खुद में भरोसा खो चुका था। उनके दर्शन ने हर किसी को बुरी तरह झकझोर दिया और एक निराश राष्ट्र में विश्वास बहाल कर दिया। ऐसे समय में जब हमारे लोगों का आत्मविश्वास बहुत नीचे था और बहुत से भारतीय अपने आदर्शों और पथप्रदर्शकों के लिए पश्चिम की ओर देखते थे स्वामी विवेकानंद ने उनमें आत्मविश्वास और गर्व की भावना भर दी। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरू के अनुसार, ‘‘भूतकाल में विश्वास तथा भारत के गौरव पर गर्व से युक्त विवेकानंद जीवन की समस्याओं के विषय में अपने नजरएि में आधुनिक थे तथा भारत के भूतकाल और उसके वर्तमान के बीच एक तरह से पुल के समान थे।’

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