Thursday, August 15, 2013

President of India: Message to the nation



हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए जो देश के प्रति तथा उन मूल्यों के प्रति समर्पित हो, जिन्होंने हमें एक महान सभ्यता बनाया है। हमें ऐसा राज्य चाहिए जो लोगों में यह विश्वास जगा सके कि वह हमारे सामने मौजूद चुनौतियों पर विजय पाने में सक्षम है।
पिछले दिनों आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां हमारे सामने आई हैं। छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा के बर्बर चेहरे ने बहुत से निर्दोष लोगों की जानें लीं। पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाने के भारत के निरंतर प्रयासों के बावजूद सीमा पर तनाव रहा है और नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम का बार-बार उल्लंघन हुआ है, जिससे जीवन की दुखद हानि हुई है। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अविचल है परंतु हमारे धैर्य की भी एक सीमा है। आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। मैं निरंतर चौकसी रखने वाले अपने सुरक्षा और सशस्त्र बलों के साहस और शौर्य की सराहना करता हूं और उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में सबसे मूल्यवान उपहार, अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया। 
अंत में मैं, महान ग्रंथ भगवद्गीता के एक उद्धरण से अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा, जहां उपदेशक अपने दृष्टिकोण का प्रतिपादन करते हुए कहता है, ‘‘यथेच्छसि तथा कुरु...’’ ‘‘आप जैसा चाहें, वैसा करें, मैं अपने दृष्टिकोण को आप पर थोपना नहीं चाहता। मैंने आपके समक्ष वह रखा है जो मेरे विचार में उचित है। अब यह निर्णय आपके अंत:करण को, आपके विवेक को, आपके मन को लेना है कि उचित क्या है।’’
 - राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी का राष्‍ट्र के नाम संदेश
We need leadership that is committed to the nation and those values that made us a great civilization. We need a state that inspires confidence among people in its ability to surmount challenges before us.
We have seen in the recent past grave challenges to our security, internal as well as external. The barbaric face of Maoist violence in Chhattisgarh led to a loss of many innocent lives. Despite India's consistent efforts to build friendly relations with neighbours, there have been tensions on the border and repeated violations of the Ceasefire on the Line of Control, leading to tragic loss of lives. Our commitment to peace is unfailing but even our patience has limits. All steps necessary to ensure internal security and protect the territorial integrity of the nation will be taken. I applaud the courage and heroism of our security and armed forces who maintain eternal vigilance and pay homage to those who have made the supreme sacrifice of the most precious gift of life in the service of the motherland.
Let me conclude by quoting from the great classic Bhagvad Gita where the Teacher propounds his views and then says, and I quote, “ÿatha icchasi tatha kuru” “even as you choose, so you do. I do not wish to impose my views on you. I have presented to you what I think is right. Now it is for your conscience, for your judgment, for your mind to decide what is right.”
PRESIDENT’S ADDRESS TO THE NATION ON THE EVE OF INDIA’S 67TH INDEPENDENCE DAY

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