“अंग्रेजी राज के समय बहुत-सी बातें लोग डर के मारे न कहते थे। कहते थे तो किताब जब्त हो जाती थी। इसलिए इस ढंग से कहते थे कि कानून की पकड़ में न आए। अपेक्षा यह की जा सकती थी कि भारत के स्वाधीन होने पर लोग अंग्रेजी राज का सही रूप लोगों के सामने पेश करेंगे लेकिन प्रयत्न बिल्कुल दूसरे ढंग का हो रहा है। नए सिरे से इतिहास लिखना जरूरी था, जिससे अंगेजी राज का सही रूप लोगों के सामने आए, साथ ही भारत की सांस्कृतिक उपलब्धि का चित्रण भी होना चाहिए था, जिसके आधार पर नए भारत का निर्माण हो सके। लेकिन जो भारत पर विदेशी पूँजी का दबाव बना हुआ है, उसके फलस्वरूप अनेक विद्वान यह बताने लगे हैं कि भारत की ऐतिहासिक विरासत उल्लेखनीय नहीं है। ज्ञान-विज्ञान का प्रकाश अंग्रेजों के आने के साथ फैला।"-डॉ. रामविलास शर्मा (भारतीय संस्कृति और हिंदी प्रदेश, पृ. 291)
Wednesday, August 14, 2013
Ramvilas sharma: Hindi speaking state
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