पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट में अनेक लोगों ने शामिल होने से मना कर दिया था. कहा, वे बाहर रहकर पार्टी बनाने, समाजसेवा करने जैसा काम करेंगे. एक से एक योग्य, त्यागी कद्दावर और चरित्रवान थे. ऐसे लोग सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं. कम्युनिस्टों में, समाजवादियों में, आरएसएस में, जो गुमनाम रह कर अपने दल के सिद्धांत, आदर्श और मूल्यों के लिए लोगों को तैयार करते रहे. आज भारत में यह प्रक्रिया ही बंद है.
(घिर गया है देश!- बाजार, समुद्र, आकाश और धरती के मोरचों पर।। हरिवंश ।।)
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