Saturday, August 10, 2013

Munshi-Young generation



‘‘किसी भी संस्कृति के मूल्य पुन: व्याख्या निर्वचन, पुन: एकीकरण तथा अनुकूलन की एक सूक्ष्म प्रक्रिया द्वारा प्रत्येक पीढ़ी के लिए संजोए जाते हैं। जब वह संस्कृति जीवित होती है तब उस पीढ़ी के मेधावी युवक और युवतियों पर इसके मौलिक मूल्यों का असर पड़ता है। उनमें से हर एक संवेदनशील तथा सक्रिय युवा एक मानवीय प्रयोगशाला बन जाती है, जो कि भौतिक मूल्यों का शुद्धीकरण करता है और उसका केंद्रीय विचार से तादात्मय कराता है; उन्हें समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करता है; सहायक मूल्यों की नई व्याख्या करके नई शक्ति के साथ पुन: संयोजन करता है और न केवल सामूहिक इच्छा की शक्ति को ठसे पहुंचाए बिना बल्कि इसे एक नई शक्ति प्रदान करके परंपराओं और संस्थाओं को दिशा देता है।’’
-डॉ.के.एम. मुंशी

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