175 वर्ष पुराना मिदनापुर कॉलेजिएट स्कूल त्याग तथा नि:स्वार्थता की विरासत का प्रतीक है। मिदनापुर कॉलेजिएट स्कूल की स्थापना, 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से केवल 23 वर्ष पूर्व 1834 में हुई थी । 175 वर्ष की अवधि पूर्ण करना किसी भी संस्था के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण अवसर होता है। 1905 में लॉर्ड कर्जन के संयुक्त बंगाल के विभाजन के विरुद्ध जन आंदोलन में स्थानीय लोगों, खासकर इस जिले के छात्र समुदाय ने इस विभाजन के विरुद्ध हुए आंदोलन में भाग लिया था । बंगाल के विभाजन के उत्तर में स्वतंत्रता सेनानियों के एक समूह का मानना था कि केवल सशस्त्र क्रांति से ही स्वतंत्रता मिल पाएगी। इस प्रकार सशस्त्र क्रांति का बीजारोपण मेदिनीपुर जिले में हुआ था। खुदीराम बोस तथा हेमचंद्र कानूनगो जैसे इस स्कूल के बहुत से पूर्व विद्यार्थी तथा शिक्षक क्रांतिकारी थे। इन सशस्त्र क्रांतिकारियों ने डगलस, पैडी तथा बर्ज नामक तीन जिलाधीशों की हत्या की। श्री बर्ज की हत्या इस स्कूल के पूर्व विद्यार्थी श्री अनाथबंधु पांजा ने की थी।इस स्कूल के संस्थापकों ने ऐसे समय में एक अंग्रेजी हाई स्कूल खोलने का निर्णय लिया था जब कि ओरियंटलिस्ट तथा एंग्लिसिस्ट के बीच बेहतर शिक्षा प्रणाली पर गर्मागर्म बहस चल रही थी। उन्होंने कहा कि इस स्कूल को संत (ऋषि) राजनारायण बसु जैसे सुप्रसिद्ध व्यक्ति को प्रधानाध्यापक के रूप में पाने का गौरव हासिल है जिन्हें राष्ट्रीय क्रांति का पितामह कहा जाता है। राजनारायण 1851 से 1866 के बीच इस स्कूल के प्रधानाध्यापक थे।
Thursday, August 15, 2013
khudiram bose: midnapore
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