भारत में फिरंगी तथा ईसाई धर्म प्रचारक भारत के 'धर्म' को पिछड़ा कह कर अपने 'रिलिजन' एवं 'लैंग्वेज' का प्रचार करने लगे। लोगों को बरगलाकर धर्म-परिवर्तन कराया। इस धर्म परिवर्तन की आंधी को स्वामी विवेकानंद ने झेलकर रोका और कहा कि हमारा धर्म हमारी सभ्यता-संस्कृति दुनिया से पीछे नहीं है ।
हिंदी नवजागरण: प्रश्नकुलताए और समस्याए: कृष्णदत्त पालीवाल, वागर्थ, अगस्त २०१३
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